Thursday, June 2, 2016

Jeewan ke do pahiye

जीवन के दो पहियों में
संघर्ष भी एक पहिया है
रुक जाना तेरा काम नहीं
परिश्रम पर विराम नहीं
अभी तो पन्ने खुलने हैं
जीवन के सपने बुनने हैं
हर पन्ना कुछ ख़ास है
जीने की जिसमे आस है
किसी पन्ने पर लकीरें हैं
जिस पर लिखी तकदीरें हैं
और कोई पन्ना ख़ाली भी है
जिस पर खुद तक़दीर बनानी है
मेहनत कर
जोश भरकर
उठ बैठ कर्म कर
न सोच थक हार कर

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